होलाष्टक का प्रारंभ 27 फरवरी से हो रहा है, जो 07 मार्च को होलिका दहन तक रहेगा. इसमें 8 ग्रह सूर्य, चंद्रमा, गुरु, मंगल, बुध, शनि, शुक्र और राहु उग्र होते हैं, जिसके कारण शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है. जिनकी कुंडली में इनमें से कोई भी ग्रह कमजोर हो या उससे जुड़ा दोष हो या वो नीच की स्थिति में हो तो अशुभ फल दे सकता है. इससे आपके कार्यों में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं, सेहत पर बुरा असर हो सकता है. होलाष्टक के समय में इन सभी उग्र ग्रहों को शांत करने के उपाय करने चाहिए. आप पर किसर ग्रह का अधिक दुष्प्रभाव है तो आपको उस ग्रह को शांत कराना चाहिए.
होलाष्टक के समय में उग्र ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने के आप नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं. ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार, ग्रहों से मिलने वाले दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र बहुत ही प्रभावी होता है. नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र में सभी 9 ग्रहों से पीड़ा को दूर करने की प्रार्थना की गई है. यह स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है. यदि आप पढ़ सकते हैं तो होलाष्टक के 09 दिनों में पूजा के समय स्वयं ही पढ़ लिया करें. नहीं पढ़ सकते हैं तो किसी पंडित जी से अपने लिए इसका पाठ करा सकते हैं.
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र
ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:।
विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रवि:।।
रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:।
विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधु:।।
भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा।
वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु में कुज:।।
उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:।
सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुध:।।
देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।
अनेकशिष्यसम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु:।।
दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:।
प्रभु: ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगु:।।
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:।
मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:।।
नेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्।
उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तम:।।
महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:।
अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी:।।