महाशिवरात्रि के अवसर पर हम व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं ताकि वे प्रसन्न होकर हमारी मनोकामनाओं की पूर्ति करें. शिव जी को प्रसन्न करने की कई विधि है. इसमें आप उनके 108 नामों का स्मरण करके भी महादेव की कृपा पा सकते हैं. भगवान शिव के 108 नाम के जप से कष्टों से मुक्ति मिलती है. 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आप भगवान भोलेनाथ के 108 नामों का स्मरण करें. शिव के 108 नामों की कथा भी रोचक है.
भगवान शिव के 108 नाम
- रुद्र
- शर्व
- भव
- उग्र
- भीम
- पशुपति
- ईशान
- महादेव
- शिव
- महेश्वर
- शम्भू
- पिनाकि
- शशिशेखर
- वामदेव
- विरूपाक्ष
- कपर्दी
- नीललोहित
- शंकर
- शूलपाणि
- खटवांगी
- विष्णुवल्लभ
- शिपिविष्ट
- अंबिकानाथ
- श्रीकण्ठ
- भक्तवत्सल
- त्रिलोकेश
- शितिकण्ठ
- शिवाप्रिय
- कपाली
- कामारी
- अंधकारसुरसूदन
- गंगाधर
- ललाटाक्ष
- कालकाल
- कृपानिधि
- परशुहस्त
- मृगपाणि
- जटाधर
- कैलाशी
- कवची
- कठोर
- त्रिपुरान्तक
- वृषांक
- वृषभारूढ़
- भस्मोद्धूलितविग्रह
- सामप्रिय
- स्वरमयी
- त्रयीमूर्ति
- अनीश्वर
- सर्वज्ञ
- परमात्मा
- सोमसूर्याग्निलोचन
- हवि
- यज्ञमय
- सोम
- पंचवक्त्र
- सदाशिव
- विश्वेश्वर
- वीरभद्र
- गणनाथ
- प्रजापति
- हिरण्यरेता
- दुर्धर्ष
- गिरीश
- अनघ
- भुजंगभूषण
- भर्ग
- गिरिधन्वा
- गिरिप्रिय
- कृत्तिवासा
- पुराराति
- भगवान
- प्रमथाधिप
- मृत्युंजय
- सूक्ष्मतनु
- जगद्व्यापी
- जगद्गुरू
- व्योमकेश
- महासेनजनक
- चारुविक्रम
- भूतपति
- स्थाणु
- अहिर्बुध्न्य
- दिगम्बर
- अष्टमूर्ति
- अनेकात्मा
- सात्विक
- शुद्धविग्रह
- शाश्वत
- खण्डपरशु
- अज
- पाशविमोचन
- मृड
- देव
- अव्यय
- हरि
- भगनेत्रभिद्
- अव्यक्त
- दक्षाध्वरहर
- हर
- पूषदन्तभित्
- अव्यग्र
- सहस्राक्ष
- सहस्रपाद
- अपवर्गप्रद
- अनन्त
- तारक
- परमेश्वर
ब्रह्मा जी ने रखे भगवान शिव के 108 नाम
पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि की रचना का कार्य ब्रह्म देव और पालन का कार्य भगवान विष्णु के हाथों में था. लेकिन संहारक की भी आवश्यकता थी. तक भगवान शिव बालक स्वरूप में प्रकट हुए. उस समय वे जोर जोर से रो रहे थे. तब ब्रह्म देव ने उनसे पूछा कि वे क्यों रो रहे हैं. तब बाल शिव ने कहा कि उनका कोई नाम नहीं है.
इस पर ब्रह्म देव ने उनका पहला नाम रुद्र रखा. यह संस्कृत के रुदन शब्द से बना है, जिसका अर्थ रोना है. रुद्र नाम से बालक शिव खुश नहीं हुए तब ब्रह्म देव उनका नामकरण करते गए और उन्होंने शिव जी के 108 नाम रखे. 108 नाम रखने पर बाल शिव का रुदन शांत हुआ. इस तरह से भगवान शिव के 108 नाम हुए.